गोरखपुर में फर्जी असलहा लाइसेंस की जांच कर रही एसआईटी ने जिले के साढ़े तीन हजार असलहा धारियों के लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की है। निरस्तीकरण के दायरे में कई माननीयों के चहेते और राजनीतिक दलों के लोग भी आ रहे हैं। जांच में 250 शस्त्र लाइसेंस फर्जी पाए गए हैं। इन सभी लाइसेंसधारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया जाएगा। फर्जी लाइसेंस बनवाने में संदिग्ध भूमिका वाले चार गन हाउस्स का भी गन हाउस लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। एसआईटी जांच डीएम के पास पहुंच चुकी है। दरअसल, एक माह पहले सोशल मीडिया पर किसी के शस्त्र लाइसेंस का फोटो शेयर हो गया था। इस फोटो के शेयर होने के बाद सारा बवाल मच गया। शस्त्र लाइसेंस के फर्जी होने के शक पर किसी ने प्रशासनिक अधिकारियों तक यह सूचना दे दी। डीएम के.विजयेंद्र पांडियान ने पूरे मामले की विधिवत जांच पड़ताल कराई। जांच के पहले चरण में ही चैका दिया। पता चला कि फर्जी लाइसेंस बनाने का बड़ा रैकेट संचालित हो रहा है। यहां तक कि असली लाइसेंस की तरह इन लाइसेंसों को आॅनलाइन भी करा लिया गया था।
डीएम ने बताया कि असल में गोरखपुर में फर्जी लाइसेंस बनवाने में फर्जीवाड़े का यह खेल गन हाउस से संचालित हो रहे थे। शहर के विभिन्न गन हाउस में नवधनाढ्यों से मोटी रकम वसूल कर ये रैकेट फर्जी लाइसेंस तो बनवा ही देते थे साथ ही अवैध असलहे भी इनको थमाकर अपना कारोबार दिन दूनी रात चैगुनी कर रहे थे। शहर के रवि गन हाउस में यह फर्जीवाड़ा जबर्दस्त हुआ। एक गन हाउस के संचालत और उसके कर्मचारी को इस रैकेट का मुख्य मास्टर माइंड मान कर चल रही थी। बीते दिनों पुलिस ने गन हाउस के कर्मचारी गोपी के घर पर छापा मारा था तो उसके घर में फर्जी लाइसेंस बनाने का ढेर सारा सामान बरामद हुआ था। उसके घर पर लाइसेंस की किताब, मजिस्ट्रेट की मुहर, कई रंग के पेन, और खूब सारी फाइलें बरामद हुई थी। डीएम ने फर्जीवाड़े को देखते हुए तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की। फिर धीरे-धीरे परत-दर-परत इस मामले में खुलासा होने लगा। इस जांच में कलक्ट्रेट के असलहा बाबूओं की भूमिका भी संदिग्ध निकली। पुलिस अभी तक दस बाबूओं समेत दस लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। बताया जा रहा है कि गन हाउस के लोगों व लिपिकों ने साहबानों को विश्वास में लेकर इस फर्जीवाड़े का अंजाम दिया। सबसे अहम यह कि तमाम लोग भी नहीं जानते कि उनके असलहे फर्जी हैं।
Read this also: गोरखनाथ मंदिर व आरएसएस से मिली सीख ने बदल की डाॅ.सैयद एहतेशाम की जिंदगी 25 थानों में शस्त्र लाइसेंसों की जांच के लिए 100 लोग एक सितंबर से जांच में तब तेजी आई जब एसआईटी ने कलक्ट्रेट के 100 कर्मचारियों को जांच में सहयोग को लगाया। राजस्व विभाग के इन कर्मचारियों ने थानेवार शस्त्र लाइसेंसों की मिलान की।
इन बाबूओं और गन हाउसस का सबसे बड़ा गठजोड़ फर्जी असलहा कांड में कलक्ट्रेट के शस्त्र अनुभाग में तैनात बाबूओं की भूमिका सबसे अधिक संदिग्ध रही। मास्टरमाइंड टीम में ये लोग शामिल रहे। एसआईटी जांच में सबकुछ सामने आया है। जांच रिपोर्ट के अनुसार असलहा बाबू की जिम्मेदारी निभा चुके विजय कुमार श्रीवास्तव, अशोक श्रीवास्तव, शमशाद अहमद, मजहर अली, रामधीरज, अशोक गुप्ता व निवर्तमान बाबू राम सिंह के कार्यकाल में सबसे अधिक गड़बड़ी मिली। हद तो यह कि इनमें से कई बाबूओं ने अपने नाम व सगे-संबंधियों को भी फर्जी लाइसेंस जारी कर दिया है। यही नहीं रवि आम्र्स काॅरपोरेशन, राजेश गन हाउस, गणेश गन हाउस, गुप्ता गन हाउस, ईस्टर्न गन हाउस की भूमिका इस रैकेट में काफी संदिग्ध रही है। इन सभी के दस्तावेजों में गड़बड़ियां हैं और फर्जी लाइसेंस व अवैध हथियार को गैरकानूनी तरीके से बेचने का आरोप है।